सम्पूर्ण सुंदरकांड Sunderkand in Hindi | Sampurn Sunda Kand

नमस्कार दोस्तों, आज हमने इस लेख में सम्पूर्ण सुंदरकांड के बारे में बोहत ही महत्वपूर्ण जानकरी दी है और साथ में बोहत ही अच्छी डिज़ाइन वाली PDF फाइल भी दी है ताकि आप इसे अच्छे से ऑफलाइन भी पढ़ पाए। तो जल्दी से इस लेख को पूरा पढ़ना शुरू कर दीजिए।

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सुंदरकांड क्या है?

सुंदरकांड, हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ और रामायण का पांचवां कांड है। यह कांड पूरी तरह से भगवान हनुमान जी को समर्पित है और इसमें उनकी वीरता, बुद्धि और भक्ति का वर्णन करता है। सुंदरकांड में हनुमान जी लंका पहुंचकर सीता माता को ढूंढते हैं और राम जी का संदेश सीता मैया को देते हैं।

सुंदरकांड का पाठ हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इसका पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सुंदरकांड में हनुमान जी के जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन मिलता है, जैसे कि लंका दहन, सीता माता से मिलना और राम जी का संदेश देना और वापस सीता माता द्वारा दी हुई अंगूठी लेकर वापस लौटना।

सुंदरकांड का पाठ कैसे करें: सरल विधि, नियम और संपूर्ण लाभ

सुंदरकांड का पाठ करने से पहले कुछ आवश्यक नियम और प्रक्रियाओं का पालन करना होता है ताकि यह पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक हो। नीचे सुंदरकांड पाठ की विधि दी जा रही है:

1. स्थान और समय:

साफ और शांत स्थान का चयन करें। मंदिर, पूजा स्थल, या घर का पूजा कक्ष उपयुक्त होता है।

पाठ के लिए प्रातःकाल (ब्रह्म मुहूर्त) या संध्या का समय सबसे अच्छा होता है।

नियमित रूप से एक ही समय पर पाठ करें तो ज्यादा फल मिलता है।

2. साफ-सफाई:

पाठ से पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।

पाठ के स्थान को स्वच्छ रखें। अगर संभव हो तो गंगाजल का छिड़काव करें।

3. पूजा सामग्री:

सुंदरकांड की पुस्तक (अथवा ऐप).

भगवान राम, सीता माता, हनुमान जी और लक्ष्मण जी की प्रतिमा या तस्वीर।

धूप, दीप, अगरबत्ती, फूल, और प्रसाद (फल, मिठाई आदि)।

आसन के लिए सफेद या लाल कपड़ा उपयोग करें।

4. पाठ आरंभ करने की विधि:

सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, ताकि कोई विघ्न न आए।

उसके बाद भगवान राम, सीता माता, और हनुमान जी की पूजा करें।

दीप जलाएं और भगवान का ध्यान करते हुए प्रार्थना करें।

फिर सुंदरकांड का पाठ शुरू करें।

5. पाठ करने की विधि:

पाठ को श्रद्धा, समर्पण और भक्ति भाव से करें।

उच्चारण स्पष्ट और धीमे स्वर में करें ताकि पाठ ध्यानपूर्वक किया जा सके।

यदि आप समूह में पाठ कर रहे हैं तो सामूहिक रूप से पाठ करें।

6. अंतिम प्रक्रिया:

पाठ समाप्त होने के बाद आरती करें।

भगवान को भोग अर्पित करें और फिर प्रसाद वितरण करें।

अंत में हनुमान जी से कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

7. नियम:

पाठ के दौरान संयम रखें और मन को एकाग्र रखें।

सुंदरकांड का पाठ एक बार में पूर्ण करना चाहिए।

अगर किसी कारणवश पाठ बीच में रोका जाए, तो उस स्थान से दोबारा आरंभ करना चाहिए।

सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप से करने से जीवन में सकारात्मकता आती है, बाधाएं दूर होती हैं, और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।

सुंदरकांड का पाठ कितने दिन करना चाहिए?

सुंदरकांड का पाठ कितने दिन करना चाहिए, इस बारे में कोई निश्चित नियम नहीं है। यह पूरी तरह से आपकी श्रद्धा और समय पर निर्भर करता है।

धार्मिक मान्यताएं:

11, 21, 31 या 41 दिन: कई लोग मानते हैं कि सुंदरकांड का पाठ 11, 21, 31 या 41 दिन तक करना शुभ होता है। ये संख्याएं धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

निरंतर पाठ: कुछ लोग हर दिन सुंदरकांड का पाठ करते हैं, चाहे वह कितना भी छोटा अंश क्यों न हो।

कितने दिन करना चाहिए, यह तय करने में आपको क्या ध्यान रखना चाहिए:

उद्देश्य: आप सुंदरकांड का पाठ क्यों कर रहे हैं? अगर आप कोई विशिष्ट मनोकामना लेकर कर रहे हैं, तो आप अधिक दिन तक पाठ कर सकते हैं।

समय: आपके पास कितना समय है? आप रोजाना कितना समय पाठ के लिए निकाल सकते हैं, इस पर भी निर्भर करता है।

शारीरिक क्षमता: यदि आप बीमार हैं या थके हुए हैं, तो पाठ को थोड़ा कम समय के लिए कर सकते हैं।

मन की स्थिति: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका मन पाठ में लगा रहे। यदि आपका मन भटक रहा है, तो पाठ को थोड़ा कम समय के लिए करें।

श्री सुंदरकांड पढ़ने से मिलते हैं 10 बड़े लाभ । Sampurn Sunderkand Hindi

सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ होते हैं।

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सुंदरकांड का पाठ करने से मानसिक शांति, साहस, और शक्ति मिलती है। यह रामायण के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र भागों में से एक है, जिसमें हनुमान जी की वीरता, भक्ति, और अद्भुत कारनामों का वर्णन है। सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से जीवन की कई समस्याओं का समाधान होता है और भक्तों पर भगवान राम और हनुमान जी की विशेष कृपा बरसती है।

सुंदरकांड पाठ के मुख्य फायदे:

मन की शांति: सुंदरकांड का पाठ करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।

नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

भय का अंत: हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

मनोकामनाओं की पूर्ति: सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है।

सकारात्मक बदलाव: यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

बीमारियों से रक्षा: हनुमान जी को रोगों का नाशक माना जाता है। इसलिए, सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

आध्यात्मिक विकास: यह व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में मदद करता है और उसे भगवान के करीब लाता है।

बुद्धि का विकास: सुंदरकांड में कई ऐसे ज्ञानवर्धक श्लोक हैं जो व्यक्ति की बुद्धि को बढ़ाते हैं।

समाज सेवा की भावना: हनुमान जी सेवा भाव के प्रतीक हैं। सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति में समाज सेवा की भावना जागृत होती है।

विघ्नों से रक्षा: यह पाठ बुरी नजर, नकारात्मक शक्तियों, और जीवन के अन्य विघ्नों से बचाव करता है। हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है, और उनका पाठ करने से हर संकट दूर होता है।

कुल मिलाकर, सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व और जीवन दोनों ही बेहतर होते हैं।

जानिये आपको सुंदरकांड पाठ कब नहीं करना चाहिए?

सुंदरकांड का पाठ एक पवित्र अनुष्ठान है, लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां होती हैं जब इसका पाठ करने से बचना चाहिए।

अशुद्धता: यदि आप शारीरिक या मानसिक रूप से अशुद्ध महसूस कर रहे हैं, तो सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए।

रजस्वला: महिलाओं को रजस्वला के दौरान सुंदरकांड का पाठ करने से बचना चाहिए।

शोक: किसी के निधन के बाद कुछ दिनों तक शोक मनाने की अवधि होती है। इस दौरान सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए।

रोग: यदि आप गंभीर रूप से बीमार हैं, तो सुंदरकांड का पाठ करने से बचना चाहिए।

मन में विकार: यदि आपके मन में कोई विकार या चिंता है, तो सुंदरकांड का पाठ करने से पहले उसे शांत करना चाहिए।

सुंदरकांड के कुछ प्रमुख श्लोक कौन से हैं?

सुंदरकांड में कई ऐसे श्लोक हैं जो बेहद प्रसिद्ध और प्रभावशाली हैं। तो आइए कुछ प्रमुख श्लोकों के बारे में जानते हैं:

“तुम उपकार किए को, तुम नहीं भुलाए”: यह श्लोक हनुमान जी की कृतज्ञता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि जो हमारे साथ अच्छा करता है, हमें उसे कभी नहीं भूलना चाहिए।

“मैंने रामचंद्र जी को कहा, सीता माँ को लाया हूँ”: यह श्लोक हनुमान जी की रामभक्ति का प्रमाण है। उन्होंने राम जी के लिए जो वचन दिया था, उसे पूरा किया।

“सब सुख लहै तुम्हारे संग, जग में तुमको ही खोजा”: यह श्लोक बताता है कि सच्चा सुख भगवान की भक्ति में ही मिलता है।

“विक्रम और बल बीमापन तो, आकाश चूमि रावण का सीस”: यह श्लोक हनुमान जी के अतुलनीय बल का वर्णन करता है।

“जन्म-जन्म का बंधन छूटा, मैं मिलन को आया हूँ”: यह श्लोक हनुमान जी और सीता माता के पवित्र संबंध को दर्शाता है।

इन श्लोकों के अलावा भी सुंदरकांड में कई ऐसे श्लोक हैं

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