इस FAQ सेक्शन को हमने खास उन लोगों के लिए बनाया है जिनके दिल में हनुमान चालीसा और बजरंगबली के लिए सच्ची श्रद्धा है और जो उनके बारे में थोड़ा नहीं बल्कि सब कुछ जानने की जिज्ञासा रखते हैं।
यहाँ आपको न सिर्फ हनुमान चालीसा के बारे में पढ़ने को मिलेगा बल्कि उसके पीछे की भावनाएं, फायदे, और भगवान हनुमान जी से जुड़ी ढेर सारी रोचक और जरूरी बातें भी विस्तार से मिलेंगी।
तो अगर आप भी मन, शरीर और आत्मा तीनों से जुड़कर हनुमान जी की भक्ति करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।
अब निचे हमारे प्यारे विसिटोर्स ने काफी सारे सवाल पूछे है जिसमे से कुछ सवाल तो ऐसे ऐसे है की जब में पढता हु तो मुझे भी हंसी आ जाती है। तो चलो आप भी पढ़े ताकि आपको भी मस्ती के साथ नॉलेज भी मिल जाएंगी।
तो चलिए शुरू करते है सवाल और जवाब।
हनुमान चालीसा क्या है और इसे किसने लिखा है?
इस हनुमान चालीसा में भगवान हनुमान जी की महिमा, उनके साहस और श्री राम के प्रति उनकी भक्ति के बारे में ४० चौपाइयों द्वारा बताया गया है। भगवान हनुमान जी को खुश करने के लिए और सभी दुःख, दर्द और पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए भारत में और दुनिया भर में हररोज़ करोडो लोग चालीसा का पाठ करते है और कहा जाता है की मंगलवार और शनिवार हनुमान जी को बोहत प्रिय है और अगर उस दिन जो भी भक्त अपने सच्चे मन से चालीसा का पाठ करता है तो उसे विशेष लाभ मिलता है। तो चलिए निचे दी हुई चालीसा आप अभी पढ़िए और भक्ति में खो जाईये।
दोस्तों, हनुमान चालीसा कोई आम भजन नहीं है – ये बजरंगबली की महिमा का वो अद्भुत गीत है जिसे पढ़ते ही मन में भक्ति, शक्ति और विश्वास की लहर दौड़ जाती है।
इसे करीब 400 साल पहले गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा था। इसमें कुल 40 चौपाइयां और कुछ दोहा होते हैं इसलिए इसका नाम “चालीसा” पड़ा।
इस चालीसा में हनुमान जी के साहस, उनकी भक्ति, उनके चमत्कारी कारनामे, और भगवान श्री राम के प्रति उनकी अटूट निष्ठा का वर्णन है।
हर मंगलवार, शनिवार, और खासकर हनुमान जयंती पर लोग इसे बड़े ही श्रद्धा और प्रेम के साथ पढ़ते हैं क्योंकि माना जाता है कि इसका पाठ करने से हर तरह की परेशानी और डर दूर हो जाते हैं।
हनुमान चालीसा किसने लिखी है?
हनुमान चालीसा को गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा था ये वही संत है जिन्होंने रामचरितमानस भी रचा था। तुलसीदास जी को राम भक्तों में सबसे बड़ा स्थान मिला है।
इस चालीसा में उन्होंने हनुमान जी के जन्म से लेकर उनके अद्भुत पराक्रम, शक्तियाँ, और श्री राम जी के प्रति उनकी अटूट भक्ति का ऐसा सुंदर वर्णन किया है जिसे पढ़ते ही मन श्रद्धा से भर जाता है।
सच कहें तो ये सिर्फ एक भजन नहीं ये हनुमान जी की जीवनी और उनके चरित्र की जीवंत झलक है।
हनुमान चालीसा में कितने दोहे और चौपाइयां होती हैं?
देखिए दोस्तों, हनुमान चालीसा में कुल मिलाकर 40 चौपाइयां होती हैं – और इसी वजह से इसे “चालीसा” कहा जाता है।
इसके अलावा शुरू में 1 दोहा और अंत में 1 दोहा होता हैं यानी कुल 2 दोहे। पहला दोहा “श्री गुरु चरण सरोज रज” से शुरू होता है और अंतिम दोहा “पवन तनय संकट हरन” से ख़त्म होता है।
क्या मैं पलंग पर लेटकर या सोते-सोते हनुमान चालीसा पढ़ सकता हूँ?
अरे हाँ बिलकुल पढ़ सकते हो मेरे प्यारे दोस्त हनुमान जी तो भाव के भूखे हैं अगर मन साफ है और श्रद्धा सच्ची है तो फिर चाहे तुम पलंग पर लेटे हो, बैठे हो या सफर में हो जहां मन करे वहां पाठ कर सकते हो।
हनुमान जी थोड़ी न तुम्हे गदा लेकर डांटने आ जाएंगे – वो तो बस इतना चाहते हैं कि हम उन्हें सच्चे मन से याद करें।
भक्ति में जगह या हालत नहीं देखी जाती मेरी जान, बस दिल देखे जाते हैं।
क्या महिलाएं मासिक धर्म के दौरान हनुमान चालीसा पढ़ सकती हैं?
देखो मेरी प्यारी बहनों, ये सवाल बहुत सारे लोगों के मन में आता है – और आना भी चाहिए।
इसका जवाब सीधा नहीं, थोड़ा समझदारी से देने लायक है।
पर पहले ये जान लो कि इस विषय में दो तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं:
1. पारंपरिक / धार्मिक मान्यता:
पुराने समय से कुछ मान्यताएं चली आ रही हैं जिनमें ये कहा गया है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाएं पूजा-पाठ, मंदिर जाना या धार्मिक ग्रंथों का पाठ न करें।
क्यों? क्योंकि इसे एक तरह की ‘शारीरिक अशुद्धि’ माना जाता था। और चूंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, इसलिए ये भी कहा गया कि महिलाएं इस समय हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के आगे न झुकें।
2. आज की सोच / वैज्ञानिक नजरिया:
अब आज की नई पीढ़ी और बहुत से विद्वानों का मानना है कि:
मासिक धर्म कोई पाप या गंदगी नहीं है, ये तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो ईश्वर ने ही स्त्रियों को दी है। तो अगर आपकी श्रद्धा सच्ची है, मन शांत है, तो आप इस समय भी भगवान का नाम ले सकती हैं। क्योंकि भगवान तो मन साफ़ हो यही देखते हैं, शरीर नहीं।
तो अब करना क्या है?
आपको खुद तय करना है कि आप किस सोच को अपनाना चाहती हैं। अगर आप पारंपरिक मान्यता को मानती हैं, तो उन दिनों में पाठ टाल दें। लेकिन अगर आप सोचती हैं कि भगवान मन की भावना से प्रसन्न होते हैं,
तो याद रखिए – चालीसा हाथ में लेकर नहीं, तो मन में ही सच्चे भाव से बोलिए।
और हाँ – हनुमान जी कोई सज़ा देने वाले देव नहीं हैं, वो तो संकट हरने वाले हैं।
नोट: ये एक संवेदनशील विषय है, किसी को नीचा दिखाना या कोई ज़बरदस्ती नहीं है।
क्या हम नॉनवेज खाने के बाद हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं?
देखो भाई, ये सवाल बहुत आम है और अच्छा भी है। सीधी बात ये है कि हाँ, आप नॉनवेज खाने के बाद भी हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। भगवान हनुमान जी ने ऐसा कोई नियम नहीं बनाया कि जो मांस खाता है वो उन्हें याद नहीं कर सकता।
लेकिन… अब थोड़ा और गहराई से समझो
शुद्ध शाकाहारी और नॉनवेज आहार में अंतर
भगवान हनुमान जी को हमेशा से सात्त्विक जीवन पसंद रहा है। उन्हें शुद्धता, संयम और सरलता पसंद है ठीक वैसे ही जैसे उनके आराध्य भगवान श्री राम भी शाकाहारी थे।
तो हां, धार्मिक दृष्टि से कहा जाता है कि अगर आप पूरी श्रद्धा से पाठ करना चाहते हैं, तो शुद्ध सात्त्विक आहार रखना ज़्यादा अच्छा होता है।
लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि…
अगर आपने गलती से नॉनवेज खा लिया या आप मांसाहारी हैं, तो इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि हनुमान जी आपसे नाराज़ हो जाएंगे।
भगवान तो मन की भावना और सच्चे भक्ति भाव को देखते हैं, न कि आपकी थाली में क्या है।
फिर ऐसा क्यों कहते है की नॉनवेज या मांसाहार ख़राब है नहीं करना चाहिए?
कुछ मान्यताओं के अनुसार, मांसाहार से शरीर और मन पर थोड़ा “तामसिक” असर पड़ता है जैसे चिड़चिड़ापन, आलस्य, या क्रोध।
इसलिए कहा जाता है कि पूजा-पाठ के समय मन को शांत रखने और बेहतर जुड़ाव के लिए सात्त्विक खाना बेहतर होता है।
तो नतीजा क्या निकला?
हाँ, नॉनवेज खाने वाला भी हनुमान चालीसा पढ़ सकता है।
लेकिन अगर आप नियमित रूप से पाठ करते हो, या किसी विशेष साधना या सिद्धि की तैयारी कर रहे हो तो उस दौरान शाकाहारी और सात्त्विक आहार अपनाना बेहतर होगा।
क्या हम रात को हनुमान चालीसा सुन सकते हैं?
हाँ भाई, बिलकुल सुन सकते हैं, और सच बताऊँ तो रात का समय तो और भी खास होता है हनुमान चालीसा के पाठ के लिए।
क्यों?
रात के समय जब सारा माहौल शांत होता है, सब अपनी दुनिया में खो जाते हैं उस वक़्त हनुमान चालीसा सुनना मन को शांति और दिल को ठंडक देता है।
कई लोग तो यही कहते हैं कि अगर नींद नहीं आ रही हो, या मन बेचैन हो, तो हनुमान चालीसा लगाकर आंखें बंद कर लो… बस कुछ ही मिनटों में मन भी शांत हो जाता है और नींद भी प्यारी सी आ जाती है।
क्या बिना नहाए हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं?
देखो भाई, अगर धार्मिक नियमों और परंपराओं की मानें, तो हनुमान चालीसा का पाठ स्नान के बाद, यानी नहा-धोकर, साफ मन और शरीर से करना सबसे अच्छा और शुद्ध माना जाता है।
ऐसा क्यों?
क्योंकि…
- नहाने से शरीर और मन दोनों ताजगी पाते हैं और भक्ति का असली आनंद भी तभी आता है जब हम खुद को शुद्ध महसूस करें।
- ये भगवान के लिए सम्मान का तरीका भी है जैसे किसी खास इंसान से मिलने से पहले आप अच्छे से तैयार होते हैं वैसे ही भगवान के सामने भी शुद्ध होकर जाना एक तरह की इज़्ज़त है।
- और हाँ, नहाने से ध्यान भी बेहतर लगता है चालीसा पढ़ते वक़्त मन इधर-उधर नहीं भागता।
लेकिन… क्या हमेशा ज़रूरी है नहाना?
नहीं, अगर कुछ विशेष स्थिति हो, तो आप बिना स्नान के भी हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
जैसे कि:
- बीमार हैं? – तो चिंता की बात नहीं है, आप वैसे भी पाठ कर सकते हैं। भगवान भावना देखते हैं, शरीर नहीं।
- बहुत जल्दी में हैं? – तो कम से कम हाथ-पाँव धोकर, मुँह साफ़ करके पाठ कर लीजिए।
- आपात स्थिति है? – मन में श्रद्धा हो तो हनुमान जी सब समझते हैं।
याद रखो:
भगवान हनुमान जी आपकी नीयत और भक्ति देखते हैं, आपके कपड़े या शरीर की हालत नहीं। अगर आपके मन में सच्ची श्रद्धा है, तो आप कहीं भी किसी भी स्थिति में चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
हनुमान चालीसा सच में इतनी शक्तिशाली है?
बिलकुल! हनुमान चालीसा कोई साधारण भजन नहीं है ये एक ऐसी दिव्य शक्ति है, जो न जाने कितनों की ज़िंदगी बदल चुकी है। इसमें भगवान हनुमान जी की वीरता, भक्ति, और करुणा का ऐसा वर्णन है कि जो भी इसे सच्चे दिल से पढ़ता है, उसे न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि भीतर से एक अलग ही ऊर्जा का एहसास होता है।
क्या सच में इतनी ताक़तवर है?
जी हां! कई लोग बताते हैं कि हनुमान चालीसा पढ़ने से बीमारियाँ जल्दी ठीक होती हैं जैसे डिप्रेशन से राहत मिलती है, रात को डर नहीं लगता, और कामों में सफलता मिलने लगती है।
हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार करें? कोई फिक्स नियम है क्या?
देखो दोस्तों, हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कोई सख्त नियम नहीं है, लेकिन कुछ परंपराएं और अनुभव हैं जो लोगों ने आज़माए हैं और उनमें चमत्कारी लाभ देखे हैं।
क्या मान्यता है?
मान्यता है कि अगर आप मंगलवार या शनिवार से शुरू करके लगातार 40 दिन तक रोज़ पाठ करते हो तो बहुत अद्भुत फल मिलते हैं। इसे “चालीसा साधना” भी कहा जाता है।
वहीं, कुछ लोग हनुमान जयंती से शुरू करके 11 बार चालीसा पढ़ते हैं और मानते हैं कि इससे भी मनोकामना पूरी होती है।
हनुमान चालीसा आसानी से याद कैसे करें? कुछ काम के टिप्स
अगर आप भी ये सोच रहे हो कि “यार मैं रोज़ पढ़ता हूँ लेकिन पूरी याद क्यों नहीं हो रही?” तो चिंता मत करो नीचे कुछ आसान और काम आने वाले तरीके दिए हैं जिन्हें अपनाकर आप भी हनुमान चालीसा को ध्यान और भक्ति दोनों के साथ याद कर सकते हैं:
1. धीरे-धीरे और लगातार अभ्यास:
- पहले दिन बस दो-तीन चौपाई पढ़ो और अर्थ समझो, बिना मतलब समझे रटने से याद तो हो जाएगा पर असर कम होगा।
- रोज़ एक-दो चौपाई बढ़ाते जाओ।
- हर दिन थोड़ा-थोड़ा, और दोहराते जाओ। जैसे गाड़ी धीमी चले, लेकिन सही दिशा में!
2. ऑडियो साथ में सुनो
- कोई अच्छा सा हनुमान चालीसा का भक्ति भरा ऑडियो लगाओ और साथ-साथ बोलो।
- जब बार-बार सुनोगे, तो शब्द खुद-ब-खुद ज़ुबान पर चढ़ने लगेंगे।
3. वीडियो देखकर बोलो
- यूट्यूब पर कई सुंदर विडियो मिलेंगे जिसमें शब्द स्क्रीन पर आते हैं।
- साथ बोलो, और हनुमान जी की मूर्ति देखकर बोलने का एक अलग ही भक्ति भाव आता है।
4. मोबाइल ऐप से करो अभ्यास
- आजकल प्ले स्टोर में कई ऐसे ऐप्स हैं जो लाइन बाय लाइन याद करवाते हैं।
- उनमें गेम या क्विज़ जैसे फीचर भी होते हैं जो सीखने में मज़ा ला देते हैं।
5. ग्रुप में बोलो – अकेले नहीं
- अगर घर में कोई और भी पढ़ता है, तो साथ में बोलो।
- या किसी मंदिर के ग्रुप से जुड़ो – समूह में बोलने से हिम्मत और याददाश्त दोनों बढ़ती है।
6. सब्र रखो
- कई बार लोग 2-3 दिन में ही हार मान लेते हैं।
- लेकिन अगर आप 10-15 दिन भी लगातार अभ्यास कर लो तो चालीसा तो क्या, उसका अर्थ भी दिल में उतर जाएगा।
याद रखो:
“हनुमान चालीसा को याद करना एक भक्ति है, रेस नहीं।”
श्रद्धा रखो, नियम रखो – बजरंगबली खुद रास्ता आसान कर देंगे।
तो बोलो जय श्री राम! जय बजरंगबली!
क्या हम हर रोज़ हनुमान चालीसा पढ़ या सुन सकते हैं?
हां, बिल्कुल पढ़ सकते हैं – और सुन भी सकते हैं।
अगर आप स्टूडेंट हैं, बिज़नेसमैन हैं या नौकरीपेशा इंसान हैं फिर तो और भी ज़रूरी है कि दिन में एक बार बजरंगबली का नाम ज़रूर लें।
हनुमान चालीसा पढ़ने से दिमाग तेज़ होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और कामों में सफलता मिलने लगती है।
अब देखिए न… आजकल हम सबके पास सबके लिए टाइम है मोबाइल, सोशल मीडिया, वेब सीरीज़, ऑफिस मीटिंग… पर भगवान के लिए? ज़रा भी नहीं। तो अगर आप बहुत बिज़ी हैं, तो कम से कम मंगलवार या शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ ज़रूर करें। बस एक बार बैठकर 5-10 मिनट निकालिए – और देखिए कैसे धीरे-धीरे ज़िंदगी में पॉज़िटिविटी भरने लगेगी।
Bonus Tip: रात में सोने से पहले सुनना भी अच्छा रहता है – मन शांत होता है और नींद भी अच्छी आती है।
तो बोलिए: “जय बजरंगबली!”
क्या हनुमान चालीसा के पाठ से बीमारियां दूर हो जाती हैं?
देखो दोस्तों, हनुमान चालीसा कोई जादू की छड़ी तो नहीं है जो पढ़ते ही सारे रोग उड़ जाएं… लेकिन ये बात भी उतनी ही सच है कि इसका असर गहरा और भीतर से होता है।
जब आप श्रद्धा से हनुमान चालीसा पढ़ते हो, तो आपके मन को शांति मिलती है, डर दूर होता है, और अंदर से एक पॉजिटिव ऊर्जा आती है जो आपको मानसिक और आत्मिक रूप से मज़बूत बनाती है। और यही चीज़ कई बार बीमारी से लड़ने की ताकत दे देती है।
लेकिन साथ ही-
अगर आप बीमार हैं, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाइए।
दवा ज़रूरी है, और साथ में “दुआ” यानी हनुमान चालीसा भी।
जैसा अक्सर कहा जाता है:
“दवा और दुआ – दोनों साथ हो, तो चमत्कार होना तय है!”
तो रोज़ थोड़ा-सा वक्त हनुमान जी को भी दो – शरीर भी सुधरेगा, मन भी।
हनुमान चालीसा को 100 बार कैसे पढ़ें और कितना टाइम लगेगा?
अगर आप सोच रहे हो कि “मैं एक ही दिन में 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ कर लूं”, तो सबसे पहले जय श्री राम बोलते हैं आपके जज़्बे को।
अब सीधी बात करें –
एक बार हनुमान चालीसा पढ़ने में करीब 9 मिनट लगते हैं, तो 100 बार पढ़ने में कुल मिलाकर लगभग 16 घंटे लग सकते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे, “भाई 16 घंटे तो बहुत है!” तो उसका भी उपाय है
आप इसे 4 हिस्सों में बाँट सकते हैं:
- सुबह – 25 बार
- दोपहर – 25 बार
- शाम – 25 बार
- रात – 25 बार
या फिर…
हर 1 घंटे में 10 बार भी पढ़ सकते हैं इससे थकान भी नहीं होगी और ध्यान भी बना रहेगा।
सच्चाई ये है: अगर मन में श्रद्धा है और दिल से हनुमान जी को पुकारा जाए, तो वो 1 बार भी सुन लेते हैं… लेकिन 100 बार का पाठ अपने आप में एक महातपस्या है।
“श्रीराम का नाम और हनुमान जी का ध्यान जीवन बदल सकते हैं।” तो अगर समय और सामर्थ्य हो ज़रूर करो, लेकिन बिना जल्दबाज़ी और पूरे भाव से।
हनुमान चालीसा पढ़ने का सही समय क्या है?
देखो, सच्ची बात तो ये है कि हनुमान चालीसा कभी भी पढ़ी जा सकती है जब मन करे, जहाँ मन करे।
लेकिन अगर आप पूछ रहे हो “सबसे अच्छा समय क्या है?”, तो उसके लिए दो टाइम माने जाते हैं:
1. सुबह ब्रह्ममुहूर्त में (यानी सूरज निकलने से पहले)
सुबह-सुबह का माहौल शुद्ध होता है, मन शांत होता है, और ध्यान लगाने में आसानी होती है।
कहते हैं, “ब्रह्ममुहूर्त में किया गया पाठ कई गुना फल देता है।”
2. रात को सोने से पहले
रात के समय वातावरण शांत होता है और हनुमान चालीसा पढ़ने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
साथ ही, मन को भी शांति मिलती है और नींद अच्छी आती है।
दोस्तों, हनुमान चालीसा सिर्फ एक पाठ नहीं है यह एक जीवन का मार्गदर्शक है। इसमें वो शक्ति है जो आपके जीवन की परेशानियों, डर, असफलताओं और नकारात्मकता को दूर कर सकती है। अगर आप सच्चे मन से इसका पाठ करते हैं तो निश्चित रूप से आपको शांति, साहस और सफलता का अनुभव होगा।
इस पेज पर हमने आपकी सभी आम और खास जिज्ञासाओं का उत्तर देने की कोशिश की है जैसे कि हनुमान चालीसा कब पढ़नी चाहिए, कैसे पढ़ें, किस स्थिति में क्या करें और क्या न करें। साथ ही अगर आपने अभी तक हनुमान चालीसा की PDF डाउनलोड नहीं की है तो ऊपर दिए गए बटन से जरूर डाउनलोड कर लीजिए ताकि आप कभी भी, कहीं भी, ऑफलाइन इसका पाठ कर सकें।
भक्ति में अगर भाव है, तो रास्ता अपने आप बन जाता है। हनुमान जी की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे यही कामना है।
हनुमान चालीसा पढ़ने से पहले कौनसी गलतिया आपको नहीं करनी है?
हमेशा पाठ शुरू करने से पहले आपको स्नान करके ही बैठना चाहिए नॉनवेज या मांसाहार नहीं खाना चाहिए हमेशा आसान पर ही बैठ कर ही पाठ करना चाहिए हनुमान चालीसा शुरू करने से पहले प्रभु श्री राम की आराधना करनी चाहिए।
हनुमान चालीसा के समय कौन सा दीपक जलाएं?
हनुमान चालीसा पढ़ते समय आप घी का दीपक जला सकते हैं। घी का दीपक शुभ और पवित्र माना जाता है। यह ज्ञान, समृद्धि और प्रकाश का प्रतीक है।
पर आप चाहे तो हनुमान जी को सरसों का तेल का दीपक भी जला सकते है वो उनका प्रिय है। इसलिए आप अपनी सुविधानुसार घी या सरसों के तेल का दीपक जला सकते हैं।
दीपक जलाने का महत्व:
- शुद्ध और पवित्र वातावरण बनाता है।
- एकाग्रता और भक्तिभाव बढ़ाता है।
- नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
- मन को शांति देता है।
- भगवान हनुमान को प्रसन्न करता है।
दीपक जलाने की विधि:
- दीपक हमेशा स्वच्छ तेल और नई बत्ती से जलाएं।
- दीपक को हनुमान जी की मूर्ति या प्रतिमा के सामने रखें।
- दीपक की लौ को स्थिर रखें।
- यदि आप दीपक जलाकर पूजा करते हैं तो उसे अंत तक जलने दें।
- बुझाते समय दीपक को पानी में न डालें।
दोस्तों यहाँ सम्पूर्ण सवाल जवाब मैंने आपके दे दिए है अगर आपके और भी नए कोई सवाल है तो आप हमसे जरूर संपर्क करे हम आपके उन सभी सवालो का जवाब देंगे और यहाँ एड भी कर देंगे ताकि आपके जैसे और भी जिज्ञासु इंसान को भी नए सवालो को पढ़ने का आनद आता रहे शुक्रिया। लेख काफी लम्बा लिखा है अगर आप इसे एक बार किसी को शेयर करेंगे तो हमें ऐसे ही लेख लिखने का उत्साह होगा जय श्री राम।
जय श्री राम!
जय बजरंग बली!
आपका दिन मंगलमय हो।